Category: भागवतगीता

श्रीमद्भगवद्गीता- अध्याय-६

शान्ताकारम भुजकसयम पद्मनाम सुरेसम विश्वाधारम गगन सदृश्यम मेघ बर्णम सुभान्गम लक्ष्मिकान्तं कमलनयनम योगिर्भिन्दा नगम्यम   भगवानुवाच ! अनाश्रित : कर्मफलम् कार्यं कर्म करोति य: | स सन्नासी च योगी च…

श्रीमद्भगवद्गीता- अध्याय-५

          शान्ताकारम भुजकसयम पद्मनाम सुरेसम शान्ताकारम भुजकसयम पद्मनाम सुरेसम विश्वाधारम गगन सदृश्यम मेघ बर्णम सुभान्गम लक्ष्मिकान्तं कमलनयनम योगिर्भिन्दा नगम्यम अर्जुन उवाच : संन्यासं कर्मणाम् कृष्ण पुनर्योगं…

श्रीमद्भगवद्गीता- अध्याय-४

शान्ताकारम भुजकसयम पद्मनाम सुरेसम विश्वाधारम गगन सदृश्यम मेघ बर्णम सुभान्गम लक्ष्मिकान्तं कमलनयनम योगिर्भिन्दा नगम्यम बन्दे बिष्णु भवहरम सर्बलोकै नाथकम श्री भगवानुवाच: इमं विवस्वते योगं प्रोक्तवानहमव्ययम्  | विवस्वानन् मनवे प्राह मनुरिक्ष्वाकावे…

श्रीमद्भगवद्गीता- अध्याय-३

शान्ताकारम भुजकसयम पद्मनाम सुरेसम विश्वाधारम गगन सदृश्यम मेघ बर्णम सुभान्गम लक्ष्मिकान्तं कमलनयनम योगिर्भिन्दा नगम्यम बन्दे बिष्णु भवहरम सर्बलोकै नाथकम   अर्जुन उवाच ज्यायसि चेत्कर्मंणस्ते मता बुध्दिजनार्दन | तक्तिम कर्मणि घोरे…

श्रीमद्भगवद्गीता- अध्याय-२

  संजय उवाच तं तथा कृपयाबिष्टमश्रुपुर्णाकुलेलक्षणम् | विषिदन्तमिदं वाक्यमुवाच मधुसुदन:  ||१|| श्री भगवानुवाच कुतस्त्वा कश्मलमिदं विषमे समुपस्थितम् | अनार्यजुष्टमस्वर्ग्यमकिर्तिकरमर्जुन ||२|| ल्कैब्यं मा स्म गम: पार्थ नैतात्त्वय्युपपध्यते ||३|| अर्जुन उवाच कथं…

श्रीमद्भगवद्गीता- सम्पुर्ण (भावार्थ सहित)

बन्दना: शान्ताकारं भुजकसयनं पद्मनाभं सुरेशं विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्णम् शुभाङ्गम् । लक्ष्मीकान्तं कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यं बन्दे बिष्णु भवभयहरं सर्वलोकै नाथकम् ।।   त्वमेव माता च पिता त्वमेव | त्वमेव बन्धुश्च सखा त्वमेव…